selfish matlbi dost shayri

दोस्तों के साथ हम हमेसा खुश रहा करते थे, मोहब्बत होने से पहले दोस्तों को समय दिया करते थे।

वो शख्स बिन बात के नाराज़ हो गया हमसे दोस्ती करके वो मतलबी हो गया

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जिसके लिए सारा जग भूल गया, वही दोस्त मतलबी निकल गया।

इश्क़ इतना बढ़ा भी गुनाह नहीं , छुप ना पाए तो मत छुपाइएगा ।

मतलबी लोगों से वफ़ा की उम्मीद मत लगाना6 अपनी ज़िंदगी के राज कभी इन्हें ना बताना

सिर्फ अश्क ही गवाही दे सकते है मेरी की दिल कितनी शिद्दत से याद करता है तुझे..

सो दुशमन कम है एक दगाबाज़ दोस्त के आगे, दुशमन सीने पर वार करेगा दगाबाज़ दोस्त पीठ पर।

ख्वाहिश नहीं है मेरी कि तेरे उस जहाँ में पनाह मिले, बस इतनी दया कर ए प्रभू, कि एक शख्स दे जिससे प्यार बेपनाह मिले।

अरे मुँह पर भाई!! और पीठ-पीछे बुराई ऐसी यारी तोड़ दे मेरे भाई